मेरी चुदाई की शुरुवात – नौकर ने डाली चूत में उंगली – हिन्दी सेक्स कहानी

हेल्लो दोस्तो मैं मधु रंडी, आज मैं आप को बताती हूँ कि कैसे मैं एक छोटी सी ब** से आज की रंडी बन गयी। आज मेरी फिगर 38डीडी-35-36 है, जो कि लगातार चुदाई की वजह से हो गया है।हमारी एक जॉइंट फॅमिली थी, और उस वक़्त हम मेरठ में रहते थे। जहाँ मेरे मम्मी पापा और मैं अपने चाचा जी के साथ रहती थी। मेरी चाची जी अब नही हैं। मेरे चाचा जी के दोनों बेटे शादी के बाद अलग रहते थे, घर में सबसे छोटी होने की वजह से मैं सभी की दुलारी थी।चाचा भी मुझे बहुत ही प्यार करते थे, चाचा का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था और बाकी सभी के कमरे नीचे थे। चाची के मरने के बाद मैं चाचा के रूम में रहती थी और वो ही मुझे पढ़ाते थे।हमारे घर में राजू नाम का नौकर था, वो मुझे साइकल पर बिठा के स्कूल ले जाता और लाता था। मैं उसे भैया कहती थी, राजू उस समय 18 साल का था और वो देखने में बहुत ही काला और तगड़ा था।मैं तो उसके सामने बिल्कुल सफेद गुड़िया दिखती थी, और वो मुझे गुड़िया कह कर ही बुलाता था। जब मैं 1* साल की हुई तो मेरी माहवारी शुरू हो गयी थी, तो मम्मी के कहने पर राजू मुझे स्कूटर से स्कूल ले जाने लग गया।कुछ दिन बाद मेरे ज़िद करने पर राजू मुझे स्कूटर सिखाने लग गया, स्कूटर सिखाते वक़्त वो मुझसे चिपक जाता था और वो मुझे यहाँ वहाँ छूता रहता था। उसके छूने से मुझे गुदगुदी होती थी, और मैं हँसती हुई उसे मना करती।ऐसे हि मैं स्कूटर सीखती रहती थी, लेकिन वो नहीं मानता था। वो मुझे कहता था, कि गुदगुदी नहीं करने दोगी तो स्कूटर नहीं सिखाऊंगा।मैं स्कूटर सीखने के लालच में उसे सब कुछ करने देती थी, कुछ दिन बाद वो मेरे मुम्मों पर भी हाथ फेरने लग गया और कभी कभी मेरे मुम्मों को वो दबा भी देता था।कभी कभी तो मेरी चूत पर भी मेरी स्कर्ट के ऊपर से हाथ फेर देता था, अब मुझे भी उसका छूना अच्छा लगाने लग गया था। कभी कभी तो मैं खुद उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख लेती थी, और वो हँसता हुआ कहता कि तेरी चूत की गर्मी को किसी दिन अच्छे से मैं शांत करूँगा।कुछ दिन बाद वो मुझे बहुत सूनसान और लंबे रास्ते से ले जाने लग गया, अब वो मेरी स्कर्ट उठा कर अपना लंबा सा लंड मेरी पेंटी में घुसा के मुझे अपने लंड पर बिठा लेता था।मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर वो मेरी पेंटी के साइड से मेरी नंगी चूत पर हाथ फेरता रहता था। मुझे भी ये अच्छा लगता था, इसलिए मैं भी उसे कुछ नहीं कहती थी।एक दिन वो बोला – गुड़िया तुझे ये सब अच्छा लगता है ना?मैं – हाँ बहुत अच्छा लगता है।राजू – अरे ये तो कुछ भी नहीं है, मैं तो तुझे और भी बहुत मज़ा दे सकता हूँ। लेकिन कसम खा कि तू किसी को बताएगी नहीं।मैने भी मज़े के लिए कसम खा ली, और अगले दिन सुबह जब हम उस सूनसान सड़क पर पहुँचे तो वो बोला – गुड़िया और मज़े लेने हैं तो अपनी पेंटी उतार कर मुझे देदे।मैने उसे अपनी पेंटी उसे दे दी, जो उसने अपनी जेब में रख ली। अब उसने अपने लंबे लंड को मेरे चूतड़ की दरार में फँसा कर मुझे स्कूटर पर बिठा दिया, और मैं स्कूटर चलाने लग गयी।फिर वो मेरी स्कर्ट में हाथ डाल कर मेरी चूत के होठों को खोल कर अपनी उंगली से उसे कुरेदने लग गया। मुझे भी बहुत मज़ा आने लग गया, राजू ने मेरी चूत कुरेदते हुए अपनी आधी उंगली मेरी चूत में घुसा दी।अब तो मुझे दर्द हुआ और मेरी हल्की सी चीख निकल गयी, लेकिन वो फिर भी उंगली आगे-पीछे करता रहा। अब मुझे मज़ा आने लग गया, थोड़ी देर बाद ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरी चूत से पानी बह गया। मैं मज़े में मदहोश हो गयी और स्कूटर रोक कर लंबी लंबी साँसें लेने लग गयी।राजू बोला – गुड़िया मज़ा आया कि नहीं?मैं – भैया इतना मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया।फिर उसने मुझे स्क** छोड़ दिया, लेकिन स्कूल में मेरा मन नहीं लगा और मैं छुट्टी होने का इंतजार करने लग गयी। मेरी छुटटी होते ही मैं राजू के पास गयी और स्कूटर लेकर उस सूनसान रास्ते पर आ कर ब
ोली।मैं – राजू मुझे फिर से मज़ा दो ना प्लीज।वो बहुत तेज हंसा और मेरी चूत में उंगली चलाने लग गया, और मैं फिर मदहोश होने लग गयी। मेरी मदहोशी का फ़ायदा उठा कर राजू भैया ने अपनी पूरी उंगली मेरी चूत में घुसा दी, मैं बहुत तेज चीखी और दर्द से रोते हुए स्कूटर को मैंने रोक दिया।राजू भैया ने अपनी उंगली निकाली तो उस पर खून देख कर, मैं और ज़ोर से रोने लग गयी। रोते हुए मैं बोली – राजू भैया बहुत दर्द हो रहा है और देखो ना खून भी आया है अब मैं शूशू कैसे करूँगी?वो हँसते हुए मेरी पेंटी से मेरी चूत साफ करते हुए बोला – अरे पागल मज़े लेने वाली हर लड़की को एक बार थोड़ा खून ज़रूर आता है, अब तुझे कभी दर्द नहीं होगा जा झाड़ियों में जा कर पेशाब कर के आ तुझे बहुत आराम मिलेगा।मैने पेशाब किया तो थोड़ी जलन हुई, लेकिन मझे बहुत आराम मिला। जब मैं वापस आई तो वो बोला – घर जा कर गर्म पानी से सिकाई कर लेना और किसी को कुछ मत बताना, अब तो तुझे बहुत मज़ा आया करेगा।घर आकर मैंने अंपनी चूत की सिकाई करी, और बिना खाना खाए ही मैं सो गयी। रात को मम्मी ने मुझे जगाया और खाना खिला कर पूछा – क्या हुआ लाडो?मैं – कुछ नहीं मम्मी थक गयी हूँ बस।ये कह कर मैं फिर से सो गयी। मैं सुबह उठी तो मेरा सारा दर्द गायब हो चुका था और मेरी चूत फिर से उंगली माँग रही थी। मैं जल्दी से तैयार हो कर राजू भैया के साथ निकल गयी।उस दिन मैने पेंटी भी नहीं पहनी, सूनसान सड़क पर आते ही मैने राजू भैया का हाथ अपनी चूत पर रख कर दबा दिया। वो हँसते हुए मेरी चूत में उंगली चलाते रहे और मैं मज़े लेते हुए स्कूटर चला रही थी।थोड़ी देर बाद ही मेरी चूत ने पानी फैंक दिया, और मैं स्कूटर रोक कर मज़े लेने लग गयी। मुझे राजू भैया पर बहुत प्यार आया तो मैने उनके गाल पर चूम लिया।फिर राजू भैया मेरे चहरे को हाथों में ले कर मेरी आँखों में देखते हुए बोले – मज़े देने वाले मर्द को ऐसे चूमते।उन्होने अपने मोटे मोटे होंठ मेरे पतले से होठों पर रख दिए, उनके मूँह से बीड़ी की बदबू आ रही थी लेकिन मैं फिर भी उनसे चिपकी रही और वो मेरे होठों का रस पीते रहे।फिर अलग होकर वो मेरी आँखों में झाँकने लगे, तो मैने शर्मा के मुस्कुराते हुए अपनी आँखें झुका लीं।इसके आगे क्या क्या हुआ, ये मैं आपको अपनी इसी कहानी के अगले भाग में जरुर बताने जल्दी हि आउंगी।

Padosan Ka Ghar Tutane Se Bacha Liya

नमस्कार मित्रो, कैसे हो आप सब, उम्मीद है बढ़िया ही होंगे। आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक बार फेर हाज़िर है, नई कहानी लेकर, जिसमे आप पढ़ेंगे के कैसे पड़ोस के लड़के ने एक लड़की का घर उजड़ने से बचा लिया?हमारी आज की कहानी मेरे बहुत ही खास दोस्त अजय कुमार लुधियाना द्वारा भेजी ये उसकी खुद की आप बीती है। सो आगे की कहानी सुनिए अजय की ही जूबानी।हलो दोस्तों मैं अजय कुमार लुधियाना पंजाब से हूँ। मैं पेशे से एक प्राइवेट नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और मैं शादीशुदा हूँ। सो ज्यादा वक्त खराब न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है।हमारी आज की कहानी की नायिका को हम शवेता नाम से जानेगे। वो मेरी पड़ोसन थी और 3 साल से शादीशुदा थी। लेकिन अब किसी वजह से मायके में ही रह रही थी। उसकी उम्र यही कोई 24 वर्ष होगी। वो पूरे मायके परिवार की लाड़ली जो थी। उसकी शादी बड़ी धूम धाम से हरियाणा में हुई थी।उसके सुसराल में किसी भी चीज़ की कमी नही थी। एक कमी थी वो थी के उसका पति बेवड़ा टाइप का था। दारू पीकर मारता, पीटता था। इन 3 सालो में वो एक बार भी पेट से नही हुई। उसके सुसराल वालो ने उसे बहुत से डॉक्टरों को दिखाया पर हर बार रिपोर्ट नार्मल आती।एक दिन शवेता ने अपने पति से कहा,” यदि आप बुरा न मानो तो इस बार मेरी जगह अपना चेकअप करवाके देखलो। हो सकता है कमी आप में हो और हम पैसा मेरे चेकअप पे खर्च कर रहे हो। उसकी इतनी सी बात उसको अपनी “मर्दानगी पर वार” की तरह लगी और गन्दी गन्दी गालिया देकर उसे पीटने लगा और उसे घर से निकाल दिया।अब शवेता बेचारी अपने माँ बाप के पास आकर मायके में ही रहने लगी। सुसराल वालो ने यहां तक बोल दिया के औलाद होगी तो ही वहां रहने देंगे वरना यही रहे। लोगो ने बहुत समझाया लेकिन उसके सुसराल वालो के कान पे जूं न सरकी।मन मारकर वो बेचारी मायके में ही रहने लगी और ये सब बाते शवेता से ही मुझे पता चली।वो अपना जीवन व्यापन करने की खातिर पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। एक दिन क्या हुआ शवेता की माँ उसे किसी जानकार डॉक्टर के पास लेकर गयी। डॉक्टर ने भी हर बार की तरह साफ बोल दिया क ये बिलकुल नॉर्मल है। इसके पति का चेकअप करवाओ।अब ये बात उन्हें बोले तो कौन, क्योंके इसी बात के लिए तो उन्होने श्वेता को घर से निकाला था। वो बेकसूर ही सज़ा काट रही थी। एक दिन शवेता बाज़ार गयी हुई थी तो उसे वहां मेघना (मेरी बीवी) मिल गई।पड़ोस की होने की वजह से अच्छी जान पहचान थी। सो दोनो बाते करती ऑटो सेे घर पे आ गयी। रात को मुझे मेघना ने बताया के शवेता की सारी रिपोर्ट नॉर्मल है। वो बेचारी खामखा ही जुदाई का दर्द झेल रही हैचाहे मुझे ये सब पहले से पता चल गया था। लेकिन मैंने एक बार भी ऐसे व्यक्त नही किया के मुझे सब पता है।फेर एक दिन मैं अपने बेटे दिवांश को शवेता के यहां ट्यूशन छोड़ने गया। उस वक्त वहां एक भी बच्चा नही आया था।तो शवेता ने बोला के आप थोड़ी देर बैठ जाओ, क्योंके आपके बेटे को मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। वो बड़ा शरारती है। ये यहाँ अकेला नही रुकेगा। जब 1-2 बच्चे आ जाये तब चले जाना।मुझे उसकी बात जच गई और मैं उसके पास ही पड़ी दूसरी कुर्सी पे बैठ गया। यहां वहां की बातो के बाद हम उसके सुसराल की बात करने लग गए। मैंने भूमिका बांधते हुए ऐसे ही पूछ लिया। तो शवेता फेर कब जा रही हो सुसराल ???.???मेरी बात सुनकर वो थोडा उदास सी हो गयी और बोली, अब तो अजय जी शायद ही जा पाऊ। क्यूकि न उनकी डिमांड पूरी होगी न मैं जा सकूँगीमैं – कैसी डिमांड शवेता ??वो – आपको नही पता क्या ??मुझे चाहे सब पता था लेकिन फेर भी मैं उसके मुंह से सुनना चाहता था।उसने बताया के जब तक मैं पेट से न होउंगी, तब तक तो नही जा सकती।अब आप ही बताइये ये कैसे सम्भव है?मेरा पति अपना इलाज़ करवा नही रहा। मेरी सब रिपोर्ट्स नॉर्मल है। तो इस हालात में कैसे माँ बन सकूँगी।मैं &#8211
; मेरे पास तुम्हारे सवाल के 2 जवाब है। अगर आज्ञा दो तो पेश करू।वो – हांजी, आज्ञा क्यों मांग रहे हो। मैं कोई परायी थोड़ी न हूँ। आपके बीच में ही रहकर पली बड़ी हूँ। आप बोलो जो बोलना चाहते हो।मैं – देखो शवेता तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नही जा रहा। तुम मुझे गलत न समझना प्लीज, मुझे तुम पर बहुत दया आ रही है। मेरी मानो तो एक बच्चा गोद ले लो या….वो – या का क्या मतलब, मैं समझी नही ??मैं – अब कैसे बोलू, बोलने का दिल भी कर रहा है पर हिम्मत नही हो रही बोलने की ?? क्या पता आप बुरा ही न मान जाओ।वो – – नही नही आपका बुरा क्यों मानना। आप बोलो जो दिल में है।मैं – या फेर किसी जान पहचान वाले से गर्भ ठहरालो।मेरी बात सुनकर उसको एक दम झटका सा लगा।मैंने एक बार फेर सॉरी बोला। मेरा ये कहने का मकसद तुमसे फ्लर्ट करना नही है। बस महज़ एक दोस्त समझलो, राय दी है।मेरी बात सुनकर कुछ पल के लिए वो शांत सी हो गयी। फेर बोली,” ये ख्याल मेरे दिल में बहुत बार आया है। लेकिन ऐसा कोई भरोसे वाला इंसान कहाँ मिलेगा।हम ये बाते कर ही रहे थे के दो लोग और अपने बच्चो को छोड़ने आ गए तो हमने समय की नज़ाकत देखते हुए बात बदल ली और मैं घर आ गया। फेर 2 दिन बाद जब फेर अपने बेटे को उसकी ट्यूशन क्लास में छोड़ने गया तो शवेता ने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया।घर पे आकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया। वहां जाकर एक नए नम्बर से मुझे कॉल आया। जब मैंने उठाया तो सामने से एक जानी पहचानी सी आवाज़ आई। हलो, क्या मैं अजय जी से बात कर सकती हूँ।मैं – हांजी, अजय ही बोल रहा हूँ। आप कौन, माफ़ करना आपको मैंने पहचाना नही ??वो – बस भूल भी गए, रोजाना तो हम ट्यूसन क्लास में मिलते है। मैं दिवु (दीवांश को घर पे दिवु भी बोलते है ) की मैडम बोल रही हूँ।मैं – अच्छा, आप शवेता हो!!!!वो – जी हाँ, शुक्र है, आपने पहचाना तो सही।मैं – हांजी फरमाइए कैसे याद किया। बाजार गया हूँ, कुछ मंगवाना था क्या ?वो – जी नही, मेने आपकी बात को रात भर सोचा और विचार किया के आप मुझे वो इंसान ढूंढकर दो। जिसपे भरोसा कर सकू। जो मेरी इज्जत पे भी आंच न आने दे। आप समझ रहे हो न मैं क्या कहना चाह रही हूँ?मैं – जी, जी सब समझ में आ रहा है। आप टेन्शन न लो समझलो आपका काम हो गया।वो – कोई गाय, बछड़ा नही लेना के समझो मिल गया। मैं एक अच्छी पर्सनैल्टी वाले सक्ष का साथ चाहती हूँ। जो मुझे प्यार, इज़्ज़त भी दे और मेरी सूनी झोली भी भर दे। सच पूछो तो मुझे आपकी डिटो कॉपी चाहिये। दूसरे सरल शब्दों में क्या आप मेरा ये काम करोगे?एक दम खुला सेक्स का न्यौता, मेरी जगह आप भी होते तो मना न कर पाते। मैंने उसे थोडा सोचने का समय लिया।फेर अगले दिन जब दिवु को ट्यूशन छोड़ने गया तो आंखो के ईशारे से उसने मेरी राय जाननी चाही। मैंने भी आखे झुका के हाँ का जवाब दिया।अब मुश्किल थी तो जगह की, के इस काम को कहाँ अंजाम दिया जाये।एक दिन मैं दफ्तर से आकर घर पे आकर बैठा ही था तो मेरी बीवी कही रिश्तेदारी में जाने को तैयार हो रही थी। इतने में श्वेता भी आ गयी। उसने अनोखे तरीके से मुझे आँख मारकर हलो कहा। फेर मेरी बीवी के गले मिली।मेरी बीवी ने हमारे लिए चाय बनाई और अपनी ट्रेन निकल जाने के डर से बोली, “आप लोग बाते करो, मैं जा रही हूँ। कल को वापिस आ जाउगी। अच्छा हुआ शवेता भी आ गयी। ऐसा करना शवेता शाम को आकर इनके लिए 3-4 रोटिया सेक देना। सब्ज़ी वगैरा फ्रीज़ में ही पड़ी है।वो – ठीक है, दीदी आप बेफिक्र होकर जाओ, मैं समय पे आकर खाना बना लूँगी।मैंने बोला,” चलो मेघना स्टेशन तक बाइक तक छोड़ आउ।वो बोली,” नही नही आप रहने दो। आप दोनों बाते करो, मैं खुद चली जाउगी। वैसे भी ट्रेन आने में अभी 20 मिनट पड़े है। तब तक तो पहुंच ही जाउगी। स्टेशन यहां पास ही तो है।इतना बोलकर वो और दिवांशु घर से स्टेशन की और निकल गए। अब हम घर पे दोनो अकेले रह गए। मैंने उसे इशारे से पूछा,&#
8221; क्या सोचा फेर ?वो – अब भी नही समझे, कैसे बुध्धू किस्म के इंसान हो आप भी???मैं – समझ तो गया लेकिन फेर भी अपने मुंह से बोलो।वो – मुझे अपने बच्चे की माँ बनादो, प्लीज़, आपका ये एहसान मेरी जिंदगी बदल देगा। मैं दुबारा घर गृहस्ती वाली बन सकूँगी। इसके लिए जो कहोगे करने को तैयार हूँ। बस एक बार इस सूनी कोख में औलाद का बीज डाल दो।मैंने उसे शाम को यही आने का कह दिया, क्योंके दिन का वक्त होने की वजह से कोई भी घर पे आ सकता था। वो रात का वादा लेकर अपने घर चली गयी। इधर मैं भी शहर आकर मेडिकल से अच्छी सी ज्यादा समय लगाने वाली दवाई वही खा ली, और बियर की बोतल लेकर घर आ गया।उधर शवेता ने भी अपने घर पे बोल दिया के अजय के घर पे आज अजय नही है, वो आफिस के काम से बाहर गया है। तो उसकी बीवी घर पे अकेली है। आज मैं वहां उसके पास सोऊँगी।घर वालो ने भी आने की इजाजत दे दी। जब थोडा अँधेरा हुआ तो वो मेरे घर पे आ गयी। उसने मुझसे खाने पीने का पूछा तो मैंने उसे हम दोनों का खाना बनाने को कहा। उसनें जल्दी से रोटिया सेंक दी और फ्रीज़ में रखी सब्ज़ी भी गर्म करके टेबल पे ले आई। हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और हल्का हल्का बियर का भी सेवन किया।उसने पहले कभी बियर को पिया नही था तो या डर से कही ज्यादा नशा न हो जाये, वो बड़ी मुश्किल से एक दो पेग ही लगा पाई। वो भी इस मकसद से के ऐसा करने के शायद उसे शर्म न आये और वो बेशर्म होकर सेक्स का मज़ा ले सके।हमने खाना खत्म किया और हम मेरे बेडरूम में चले गए। एक तो गोली का नशा और एक बियर का नशा, उपर से कच्ची कली सी लड़की मेरे साथ बैठी थी। मैंने पहले उसे बेड पे लिटाया और उसके होंठो का रसपान किया।अजनबी होने की वजह से पहले उसे थोडा अजीब लगा। परन्तु जब उसे ही मज़ा आने लगा तो वो मेरा साथ देने लगी। उसने हमारे हालात को मद्देनजर रखते हुए खुद ही अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी इशारे से खड़ा होकर निवस्त्र होने का इशारा किया।देखते ही देखते मैं भी एक दम नंगा हो गया। अब हम दोनों एक दूसरे को बाँहो में लेकर चूमने चाटने लगे।बियर के नशे में वो आज कुछ ज्यादा ही अडवांस चल रही थी। मेरे बिन बोले ही उसने मुझे लेटने का इशारा किया और मेरी टाँगो की तरफ से ऊपर आकर मेरे लण्ड को मुठी में लेकर सहलाने लगी।उसके हाथ का जादू कहलो या दवाई का, 1 -2 मिनट में ही नागराज अपनी नींद से जाग गए और लगे मारने फुंकारे। उसने बिन समय गंवाए उसे मुंह में लिया और एक हाथ से पकड़कर लगी अपना सिर आगे पीछे करने। सच पूछो तो इतना मज़ा सेक्स में मुझे कभी नही आया। जितना आज आ रहा था। अब मेरा लण्ड उसके थूक से सन् गया था। अब मैंने उसे निचे लेटने को कहा।वो बोली थोडा रुक जाओ अभी मेरा दिल नही भरा है। जब भर जायेगा बता दूगी। तब तक आप आराम से लेटे रहो और मुझे अपना काम करने दो। मैंने भी उसकी मर्ज़ी के आगे हाथ खड़े कर दिए।जब मुझे लगा के मेरा वीर्य निकलने वाला है तो मैंने उसे हट जाने का बोला। लेकिन वो काम में इतनी मगन थी के उसने मुंह मेरे लण्ड से हटाया नही और गटा गट सारा वीर्य पी गयी और आखरी बून्द तक चाटकर साफ करदी। फेर बोली,” अब बोलो क्या बोल रहे थे। अब दिल भरा है।मैंने उसे लेटने का इशारा किया। वो बोली,” मैं चुदने के लिए तड़प रही हूँ। आप फालतू का समय इस फोरप्ले में व्यर्थ कर रहे हो। अब आप ये कहोगे के मुझसे अपनी चूत चट्वाओ। तो उसके लिए जरा सा भी समय नही है। आप ऐसे करो बस अपना मूसल पेल दो बस और गर्म गर्म वीर्य से मेरी चूत सींच दो।”मैंने इस बार भी उसकी मर्जी को अहमियत दी और उसकी टांग उठाकर कंधे पे रख ली और अपना अपना तना हुआ लण्ड उसकी चूत रस से सनी चूत के मुंह पे लगाकर रगड़ने लगा। जिस से वो मचलने लगी और गिड़गिडा कर लण्ड पेलने की विनती करने लगी।अब मैंने भी जरा सी पीठ पीछे करके हल्का सा झटका लगाया तो मेरे लण्ड का सुपाडा उसकी चूत में हल्का सा धंस गया। जिस से उसकी
पीड़ा का उसके मुह के हाव भाव से पता चल रहा था।फेर जब वो थोड़ी नॉर्मल हुई मेने फेर हल्का सा धक्का दिया। इस बार आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। काफी समय बाद सेक्स करने की वजह से शायद उसकी चूत टाइट हो गयी थी। इस लिए उसे ज्यादा दर्द महसूस हो रहा था।उसने दबी सी आवाज़ में कहा,” आप मेरे दर्द की परवाह न करो, आप अपना काम करते रहो।”मैंने अपना काम जारी रखा और इस बार के झटके से पूरा जड़ तक लण्ड शवेता की चूत में घुस गया। दर्द की वजह से उसके आंसू निकल आये पर ममता में अंधी वो सब दर्द झेल गयी और मुझे ऊपर लेटकर कमर हिलाने का इशारा किया। मानो अब मेरा भी लण्ड दहकती भट्ठी में जा घुसा हो अंदर से गर्मी की वजह से जलन हो रही थी।अब मैंने भी ऊपर लेटकर कमर हिलानी चालू करदी। मैं भी उसके होंठ चूसता, कभी उसके मम्मे तो कभी कान की पेपड़ी। इस पे वो ज्यादा मज़े में आकर निचे से गांड हिलाकर लण्ड लेने लगती। हमारी आधे घण्टे ही चुदाई में वो 3 बार झड़ गयी और मैं उसकी चूत में 2 बार झड़ा।हमने थोडा आराम किया और आधी रात को 1 बजे एक राउंड फेर लगाया। इस बार भी मैंने अपना वीर्य श्वेता की चूत में ही छोड़ा। फेर हमने 2 घण्टे आराम करके 3 बजे फेर एक राउंड लगाया कुल मिलाकर वो बहुत ही मज़ेदार रात थी।अगले दिन जब बियर का नशा उत्तरा तो वो शर्म के मारे आँखे ही मिला नही रही थी। वो झट से उठी और कपड़े पहने और मुझे ही पकड़े पहनने का बोलकर खुद किचन में चाय बनाने चली गयी।जब चाय बनकर तैयार हो गयी तो वो बेडरूम में ही ले आई। हमने मिलकर चाय पी और उसने मुझे कई बार थैंक्स बोला। मैंने उसको गले लगाकर सब ठीक हो जाने का भरोसा दिया। फेर वो बर्तन सम्भाल कर अपने घर चली गयी। करीब 9 बजे वो मेरे लिए अपने घर से खाना बनाकर लाई। इतने में मेरी बीवी भी रिश्तेदारी से आ गयी।तकरीबन हफ्ते बाद शवेता ने फोन पे अपने गर्भवती होने का शुभ समाचार सुनाया। बाद में सुनने में भी आया के उसका पति उसको आकर ले गया और अब वो एक बेटी की माँ बन गयी है। जिसका हमारे नामो को तोड़कर आशा रखा। अब वो अपनी ज़िन्दगी में बहुत खुश है और जब भी मिलती है तो बड़ी ख़ुशी से मिलती है।सो मित्रो ये थी आज के लिए कहानी, आपको जैसी भी लगी आपकी प्रतिकिर्या या फेर आपकी भी कोई ऐसी कहानी जो आप इस साईट के माध्यम से पूरी दुनिया में पुहचाना चाहते हो तो मुझे मेरे मेल पते पे टाइप करके निसंकोच भेज दे। आपके कीमती विचार मुझे आने वाली कहानियो में मददगार साबित होंगे।किसी दिन फेर हाज़िर होऊँगा, एक नई कहानी लेकर तब तक अपने दीप पंजाबी को दो इजाजत! नमस्कार, छब्बा खैर और शुभ दिन।।[email protected]

Vidhwa Teacher Ki Chudai – Part 2

इधर मेरे सास ससुर मुझे ही कोसते रहते और बोलते,” पहले नई नई आई अपना बच्चा खा गयी, अब अपने सुहाग को ही निगल गयी। कैसी डायन हमारे पल्ले पड़ गयी। दिन भर ऐसी सेंकडो दिल जलाने वाली बाते करते और् मैं चुप चाप सुनती रहती।पहले मैडम के शादीशुदा होने पे झटका लगा था और अब उसके विधवा होने का सुनकर मैं सुन हो गया ।वो लगातार बोलते ही जा रही थी,मैंने सुसराल छोड़ दिया और मायके में जाकर रहने लगी, वहाँ किसी भली औरत के सम्पर्क में आई उसने मेरी यहाँ इस शहर में नौकरी लगवादी और एक कमरा जिसमें अब हम बैठे है, उसी भली औरत का है, उसने मेरी हालात देख कर फ्री में रहने को दिया है। अब अकेली रहती हूँ, जितना कमाती हूँ, सब अपना है, आगे कोई ख्वाहिश नही है।अस्पताल में रोना इस लिए आ गया के डॉक्टर को नही पता था आप कौन हो उन्होंने आपको मेरा पति बना दिया। क्योंके मेरी तरह उन्हें भी आप मेरे पति लगे।आपके बेटे यानि समीर में मुझे मेरा अबो्र्ट हुआ बच्चा और आपमें मेरा स्वर्गवास हुआ पति मनमीत दिखता है। इस लिए आप दोनो से इतना स्नेह है। वैसे तो क्लास में सेंकडो बच्चे है, पर समीर से ही इतना लगाव है। कभी कभी मुझे लगता है भगवान ने मुझे मेरा बच्चा समीर के रूप में खेलने के लिए वापिस दे दिया है।सच पूछो तो उस दिन जब समीर बीमार पड़ा था। मैं बहुत घबरा गयी थी। पता नही क्यों लगा के मेरा अपना बच्चा ज्वर से तडप रहा है। इस लिए उसे इतना सम्भाल कर रखा, यदि आप आधा घण्टा और न आते तो मै उसे शायद डॉक्टर के पास भी ले जाती।आपसे मोबाइल नम्बर लेना भी एक बहाना था, ताकि आपके सम्पर्क में रहूँ। इतने सालो से दबाई काम अग्नि, प्यार, ममता आप दोनों के साथ रहकर भड़क उठी है। मुझे नही पता मेरे लिए ये सही है या नही पर कहते है न अपनों के सामने दिल खाली कर लेना चाहिए।आज सुबह आपने अपना सारा काम काज छोड़कर सारा दिन मेरे साथ बतीत किया है। इसी बात के लिए मेरी नज़रो में आपकी इज़्ज़त बहुत बढ गयी है। आपको सुनकर चाहे बुरा लगे। मैं आपको दिल ही दिल में प्यार करने लगी हूँ। सोते जागते बस आपका ही ख्याल आ रहा है। आपके सुबह के स्पर्श ने मन में हलचल सी पैदा करदी है।मैं उसके ख्यालो में इतना खो गया जे पता ही न चला उसने बोलना बन्द बी कर दिया है।मेरी तरफ देखकर वो चुटकी बजाकर बोली,”हैलो किधर खो गए जनाब ?मैं — नही कही भी नही , सोच रहा हूँ ऐसा भगवान क्यों करता है अच्छे लोगो से धक्केबाज़ी।वो — शयद आपसे और समीर से मिलाना था भगवान ने मुझे !अब जो भी बोलो मुझे कोई फर्क नही पड़ता, पहले डरती थी के मेरी सचाई जानकर कही मुझसे किनारा न करलो आप। अब चले भी जाओगे तो थोडा दुख तो होगा पर आपसे प्यार करती हूँ न तो झूठ नही बोला गया आपसे। एक बात और आप तीसरे सक्क्ष हो जिनमे एक मैं खुद, दूसरी वोह भली औरत और आप जिसे मेरी कहानी पता है। नही तो स्कूल वाले भी नही जानते मेरी सचाई। वो अभी भी मुझे कुंवारी ही मानते है।क्या मेरे साथ सेक्स करोगे आप दीप, उसकी इस बात पे मेरा मुह खुले का खुला रह गया।क्योंके वो लड़की होकर इतना कर रही थी और मैं लड़का होकर भी शर्मा रहा था।बोलो चुप क्यू हो, करोगे क्या ?उसकी आँखों में एक बेनती, एक प्यास, एक समर्पण और भी बहुत सी भावनाये छलक रही थी।मैंने उस समय के हालात को भगवान का ऐसा ही लिखा समझकर हाँ बोल दी। जिस से वह गले लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और लव यु सो मच दीप, आई कैंट नेवर लीव विदाट यू बार बार बोलकर मेरे चेहरे पे किस करने लगी। मैंनेे भी मी टू कहा और उसकी पीठ थपथपाकर चुप होने को बोला, चुप होजो पलीज़ आप जैसा बोलोगे वैसा करेगे, फिलहाल ठीक हो जाओ एक बार।उसने रोना बन्द कर दिया इधर रात होने को थी। उसे दवाई देकर और लिप किस करके अपने घर आ गया।रात को फोन पे बात भी की , ज़िन्दगी में पहली बार खुद पर मान महसूस हो रहा था जब किसी लड़की ने इतना मेरे लिए सोचा था। अगले दिन सुबह रविवार था। उस
की 7 बजे काल आई के आज शाम को घर आ जाओ, आपके लिए सरप्राइज़ गिफ्ट है।मैंने जल्दी से घर ले सारे पेंडिंग काम खत्म किए और शाम को बाइक स्टार्ट की और उसके घर की तरफ निकल गया। रस्ते भर में सोचता जा रहा था ऐसा क्या सरप्राइज़ हो सकता है। वहां पहुंचकर उसने दरवाजा खोलकर मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे गले में अपनी बाँहो का हार डाल दिया और लिप किस करने लगी। जिसमे मैं उसका साथ देने लगा।करीब 5 मिनट हम ऐसे ही लिप किस करते एक दूजे में मगन रहे। फेर मैंने उसे गोद में उठाकर उसके बैडरूम की तरफ ले गया। बेड को शानदार तरीके से सजाया गया था, जैसे फूलो से सुहागरात में सजाया जाता है। अंदर आते ही बोली, क्यों डार्लिंग केसा लगा सरप्राइज़ हमारा, मैंने भी हस कर बोला बहुत बढ़िया जानू जी।वो बोली, अब खड़े खड़े क्या देख रहे हो पधारो न अपनी सुहाग सेज़ पर ।उसकी बात सुनकर मैंने जूते उतारे और उसको लेकर बेड पे आ गया। उसे पीठ के बल लिटाया और खुद ऊपर आकर उसको कभी माथे पे किस, कभी होंठो पे तो कभी गालो पर चूमने लगा।वो हंसकर बोली,” रुक जाओ पतिदेव पहले शादी वाली रस्म तो पूरी कर लेंने दो। उसने उठकर दूध का गिलास उठाया और मुझे पीने को दिया। जो हमने आधा आधा पिया। एक मिठाई के छोटे से डिब्बे में से बर्फी का पीस निकाल कर हम दोनों ने खाया। वो घूंघट ओडकर बोली,” अब मुंह दिखाई में क्या दोगे?मेने बात मज़ाक में डाल ली अपना वो काला काला, जिससे कमरे में हम दोनों की हंसी गूंजने लगी।मैंने तो काला पर्स बोला यार, तुम ही कुछ और समझ रही हो हाहाहाहा की गूँज एक बार फेर गूंजी। मेने अपनी जेब से पर्स निकल कर उसके हवाले कर दिया। इस बार श्वेता थोड़ा भावुक सी हो गयी।मै — क्या हुआ अब किस बात पे रोना आ गया ?वो — ऐसा ही माहोल था 5 साल पहले जब पहली बार शादी का जोड़ा पहना था।मैंने उसके दिल की बात समझ कर उसे गले लगाकर दिलासा दिया और कहा,” चुप हो जाओ यार प्लीज़ बहुत रो लिया आपने आज से पहले। आज हसने का दिन है। आज तो नई ज़िन्दगी की शुरुआत हुई है।चलो चुप हो जाओ प्लीज़, ये टाइम रोने धोने में न गंवाओ, आओ मिलकर इसे सुनहरी याद बनाए। उसने सहमती में सिर हिलाया और अपना मुह पोंछा और लेट गयी। अब लेटी ही मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, जिसे उसकी मुश्कल को आसान करते हुए मेने कमीज़ और अपना पायजामा भी दोनो उतार दिए।अब बस अंडरवियर में था। वो मेरे शरीर को बड़े ध्यान ने देख रही थी। मैंने शरारत भरे लहज़े में बोला, मुझे तोे नंगा कर दिया और आप खुद कपड़ो में हो, ये तो बहुत नाइंसाफी है जनाब।इसपे वह हस कर बोली, आपको किसी ने रोका है, उतार दो।मैंने उसे बैठने को बोला और उसकी कमीज़ निकाल दी, और पीछे हटकर उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया। अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। क्या गज़ब का शरीर लग रहा था।उसके बाल खोल दिए और एक तरफ करके पीठ पे एक किस करदी। जिस से वो आँखे बन्द करके मौन करने लगी।फेर ब्रा की स्ट्रिप्स की पिन्स खोलकर उसमें कैद कबूतरो को आज़ाद कर दिया। ब्रा खुलते ही दोनो कबूतर उड़ने के लिए फड़फड़ाने लगे। उसको लिटा कर एक मम्मे को मुह में लेकर चूस रहा था तो दूजे को, दूजे हाथ से हल्का हलका दबा रहा था। उसके मुह से आआआअहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्उई.. सी.. !!!आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।।।जैसी कामुक आवाज़ें आ रही थी ओर वो अपने हाथ से मेरे अंडरवियर के उपर से ही मेरे लण्ड जो मसल रही थी। जो के आग में घी का काम कर रहा था। उसने उठ कर मेरा अंडरवेअर टांगो से निकल दिया और लन्ड को मुह में लेकर चूसने लगी।मैं तो जैसे उपरली हवा में गोते लगा रहा था। जो मज़ा आ रहा था शब्दों में बयान नही हो सकता। कभी लण्ड के गुलाबी सिर पे गोल गोल जीभ घूमाती और कभी हल्का हलका दांतो से काट देती। जब थोडा दर्द महसूस करता तो हस कर चिढ़ाती।कभी आंण्डो को होठो के बिच लेकर चुस्ती। इस तरह 10 15 मिनट लण्ड से खेलती रही। फेर उठ कर बैड पे आ
गयी। अब हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूजे में समाये हुए थे।मानो समय रुक सा गया हो। मेने थोड़ा निचे सरक कर उसकी टांगो में अपनी जगह बनाली और उसकी शेव की हुई चूत को जीभ से चाटने लगा। जिसमे से कामरस की अजीब सी महक आ रही थी। मेरी इस हरकत से उसके शरीर में जेसे 440 वाट का करन्ट दौड़ गया। उसकी आँखे बन्द हो गयी और एक लम्बी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह..!!निकल गयी। फेर उस्की चूत की पंखुड़ियो को होठो में लेकर चूसने लगा। मेरी इस तरह की हरकत उसे लगातार गर्म कर रही थी। अब उसकी चूत से थोडा थोड़ा चूतरस बहने लगा । जो के एक पक्की निशानी था के वो अब बहुत गर्म हो चुकी है।मेने ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए। उसे सीधा लिटाया और अपना लण्ड उसकी चूत के मुह पे सेट करके हल्का धकका दिया। जो के लण्ड चूतरस की वजह से फिसल गया। फेर दुबारा टाँगे खोल कर धक्का लगाया। इस बार सिर्फ मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया। जिस से उसे दर्द हो रहा था।क्योंके पिछले 2-3 सालो से चुदी न होने के कारण उसकी चूत थोडा टाइट हो चुकी थी। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फेर थोडा पीछे हटकर हिट किया। इस बार आधे से ज्यादा लण्ड मैडम की चूत में घुस चूका था।उसने बोला,” मेरे दर्द की परवाह न करो, तुम अपना काम जारी रखो। मैं उसकी बात पे गौर करके लगातार तगड़े तगड़े शॉट्स लगाता रहा और अब जड़ तक लण्ड मैडम की चूत में था। मैडम को दर्द तो हो रहा था फेर भी मुझे और तेज़ और तेज करने को बोल रही थी।मेने अपना काम जारी रखा, अभी काम स्टार्ट हुए को 5 मिनट ही हुए थे के मैडम ने मुझे बाँहो में जकड़ लिया और एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह से झड़ गयी। उसके गर्म गर्म पानी को अपने लण्ड पे महसूस किया। मेने अपना काम जारी रखा और जब मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो पूछा कहाँ निकालू ?मैडम बोली,” मेरी सालो से सूखी चूत में ही झड़ जाओ, आपका पानी अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ। फेर मेने भी एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह् से उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी और तब तक उसके ऊपर लेटकर पिचकारियां छोड़ता रहा जब तक आखरी बूँद न चूत में नुचड़ न गयी। अब हम दोनों के चेहरों पर सन्तुष्टि के हाव भाव साफ झलक रहे थे।फेर हम थक कर एक दूसरे की बाँहो में पड़े रहे और पता ही नही चला कब नींद आ गयी। दोपहर को उठकर हम साथ में नहाये और खाना खाया। बाद में घर से फोन आने की वजह से मुझे उसे छोड़कर आना पड़ा। आज भी जब भी दिल करता है हम दोनों पति पत्नी की तरह सेक्स के मज़े लेते है।सो ये था एक और नया अनुभव ।अपने कीमती विचार हमे इस पते पे भेजे मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.जरूरी सुचना – बतमीज पाठक जिनको बोलने की भी तमीज़ नही है सिर्फ गालिया ही आती है कृपया वो हमारी ईमेल और कहानी से 1000 फ़ीट दूर ही रहे।हम इतनी मेहनत से ख़ास आपके मनोरंजन के लिए कितना समय लगाकर कहानी लिखते है। आपको नही पसंद तो बोल्दो अछी नही लगी, बोरिंग है बात खत्म।माँ बहन की गालिया निकालने की क्या बात है। सो समझदार को इशारा ही काफी है।जल्द ही नई कहानी लेकर हाज़िर होऊंगा तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त.. नमस्कार।

sex with mamisadi me bhabhi ki chudaikahani ratingmajburi me chudwayabani hotbahubali story hindisex story's hindiசெஸ் ஸ்டோரி தமிழ்antarwasna2hindiadultstoriesकहानी २choot se khoonsex.khaniyatrain sex stories in hindidiya sana bare chestbhai ke samne bhabhi ko chodakathaigal pundaivelamma bhabhi pornsex story with maidsexstorys hindihot sex aunty photosbhaiya bhabhi kaporn chudai kahanimom son indian sex storiesjism sexxxx aunty and unclepizza wali gamecourier ki chudaihindi sex story hindi fontfree antervasna sex storiesrandi ki gaand marihot velamma comicssex story newmatar ki kahaniindiqn sex storiessex karlucknow sex storyटीचर को चोदाjabardasti sex kahanihindi sex storessex stories with picbf sex storiesnew chudayi storyindainsexstoriesbengali srx storyma sex storynew hot tamil storysex stories new in tamiltamil kamakarhaikalx story.comtrin me chudaimalayalam kambikadakalchachi bhatije ki chudai ki kahanitamil super aunty sexfrend mom sexpics of nude indiankamukta.com storysex stories student teacherhindi kamvasna kahanixxx page 1velamma bhabhi comicssadi suda didi ki chudaisex mummy comdaily updated tamil kamakathaikalmaja sexদিদি কি চুদাইhindi chudai sexyhindi gay sex story antarvasnadesi bra xxxsax khaniysavita bhabhi ki chudai wali videosouth indian srxdsc sex chatantarvasna.c omबफ स्टोरीtamil sex stories .comsex xtoriesmadhavi ki chudaikambi mallu kathaindian gaysite. comwww erotic comudhar bookbade land se chudai ki kahanidost ki bahan ko choda kahanichut ki story hindi megf ki maa ko chodahindi mein doctor ki chudaikama kathaigal in tamilhindi sex stori newchut ki chudai mastsavita bhabhi manoj